Mughal Emperor Bahadur Shah Zafar

झुग्‍गी-झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं मुगल बादहशाह बहादुर शाह जफर के वंशज

नई दिल्ली। राजधानी के बीच स्थित एक बड़ा ऐतिहासिक रहा लाल किला अपनी कई कहानियों को दपन किए हुए  टिका खड़ा है। इस किलें ने ना जाने कितने शासकों को राज करते देखा है और ना जानें कितनों का अंत इस किलें की चारदिवारी के भीतर हुआ  है। इस किलें के आखिरी शासक बहादुर शाह जफर थे जिसकेबाद से इस पर अंग्रेजों का कब्जा होगया। लेकिन यह बात कोई नही जानता कि मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के बाद उनके वंशजों का क्या हुआ।

बहादुर शाह जफर के पूर्वजों ने भले ही बड़े साम्राज्‍य में राज करते हुए आलीशान महलों में अपना जीवनयापन किया, लेकिन अब उनके वंशज दाने दाने को मोहताज हो रहे है। उन्ही वंशजों में से एक मानी जाने वाली सुल्‍ताना बेगम इन दिनों कोलकत्ता में रहकर अपने परिवार के साथ जिंदगी बसर कर रही है। जहां उनके पास रहने को मकान तक नही है।

कोलकाता की झुग्‍गी में रहने को मजबूर 60 साल की सुल्‍ताना बेगम भारत के आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर की पौत्रवधू हैं। जिसकी शाही विरासत होने के बावजूद भी एक मामूली पेंशन पाकर रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में लगी हुई है। उनके पास ना को रहने को लिए घर है, ना ही जीने का कोई जरिया है। उनके पति राजकुमार मिर्जा बेदर बख्‍त की साल 1980 में मौत हो चुकी है जिसके बाद से वो अकेले हावड़ा की एक झुग्‍गी-छोपड़ी में रहकर गरीबी की जिंदगी जी रही हैं। खाने के लिए कभा कभी दूसरो पर मोहताज भी रहना पड़ता है।

शाही परिवार की सदस्‍य सुल्‍ताना को सरकार की ओर से हर महीने मात्र 6,000 रुपये की पेंशन मिलती है। वो अपनी बिन ब्‍याही बेटी मधु बेगम के साथ रहती हैं।  उनकी दूसरी बेटियां और उनके पति भी इतने गरीब हें कि एक वक्तकी रोटी के साथ गुजारा करना मुश्किल हैं।

सुल्‍ताना सरकार के द्वारा दी जाने वाली 6,000 रुपये की पेशन से अपनी पांच बेटियों और एक बेटे का खर्च चलाती हैं। लेकिन इस पेशन के लिए भी सुल्‍ताना को सालों तक केंद्र और राज्‍य सरकारों के सामने पेंशन और मूलभूत सुविधाओं के लिए गुहार लगानी पड़ी हैं। सुल्‍ताना अपने परिवार के साथ गुजारा करने के लिए कई सालों से चाय की दुकान लगा रही है, इसके अलावा वो कपड़े सिलने का काम बी करती है।

सुल्‍ताना के पति के परदादा बादशाह बहादुर शाह जफर 1837 में गद्दी पर बैठे थे। वह मु्गल साम्राज्‍य के आखिरी बादशाह थे। बहादुर शाह जफर ने 1857 में अंग्रेजो का विद्रोह किया था जिसके बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने किले पर कब्जा करके बहादुर शाह जफर को 1858 में म्यांमार भेज दिया था। उस दौरान किले में पत्‍नी जीनत महल और परिवार के कुछ अन्‍य सदस्‍यों भी थे। 1857 हुए विद्रोह में बहादुर शाह के कई बच्‍चों और पोतों की हत्‍या कर दी गई थी, और कुछ लोग जो बच गए थे वे  लोग आज भी अमेरिका, भारत और पाकिस्‍तान के अलग-अलग हिस्‍सों में रह रहे हैं